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नवरात्रि के पहले दिन की पूजा में ये गलती न करें जानें सही दिशा रंग और आरती का महत्व! 2024

क्या आप जानते हैं कि नवरात्रि का पहला दिन आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि लाने का सबसे महत्वपूर्ण अवसर होता है? अगर आप सही विधि से माँ शैलपुत्री की पूजा करते हैं, सही रंग के कपड़े पहनते हैं, और पूजा के दौरान सही दिशा का ध्यान रखते हैं, तो माँ दुर्गा की असीम कृपा प्राप्त कर सकते हैं। लेकिन एक छोटी सी गलती आपकी सारी पूजा का असर कम कर सकती है। इस लेख में हम आपको बताएंगे कि पहले दिन की पूजा कैसे करें, किस रंग के कपड़े पहनें और कौन सी आरती से माँ को प्रसन्न करें। इसे ध्यान से पढ़ें क्योंकि हर छोटी बात माँ दुर्गा की कृपा पाने के लिए अहम है।

माँ शैलपुत्री
माँ शैलपुत्री

नवरात्रि के पहले दिन का अपना खास महत्व है, और इस दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। यह दिन सकारात्मक ऊर्जा से भरा होता है, और सही तरीके से पूजा करने से घर और जीवन में सुख-शांति आती है।

माँ शैलपुत्री की पूजा का महत्व:

नवरात्रि के पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माँ शैलपुत्री, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं, देवी पार्वती का ही एक रूप हैं। इन्हें धरती की शक्ति और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। इनकी पूजा से भक्तों को साहस, शक्ति और दृढ़ता मिलती है, और उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

पहले दिन कौन से कपड़े और रंग पहनें:

नवरात्रि के हर दिन का एक विशेष रंग होता है, जो माँ के अलग-अलग रूपों से जुड़ा होता है। नवरात्रि के पहले दिन का रंग पीला होता है। यह रंग जीवन में सकारात्मकता, खुशहाली और सुख-समृद्धि का प्रतीक है। इसलिए पहले दिन पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है। पीला रंग न केवल मन को शांति देता है, बल्कि यह मां शैलपुत्री की कृपा प्राप्त करने का माध्यम भी है। पूजा के दौरान हल्के और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें, क्योंकि यह शुद्धता का प्रतीक होता है।

माँ शैलपुत्री

पूजा की विधि और मूर्ति की दिशा:

माँ शैलपुत्री की पूजा के लिए सबसे पहले घर के पूजा स्थान को साफ करें और वहाँ गंगाजल छिड़कें। पूजा स्थान हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में होना चाहिए, क्योंकि इसे सबसे शुभ दिशा माना जाता है। माँ की प्रतिमा या तस्वीर को इस दिशा में रखें ताकि पूजा के समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर हो। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और घर में शांति और समृद्धि आती है।

पूजा की शुरुआत माँ शैलपुत्री की प्रतिमा या तस्वीर के सामने दीपक जलाकर करें। साथ ही माँ को ताजे फूल, चंदन, चावल, और जल अर्पित करें। पीले फूल विशेष रूप से माँ को अर्पित करना शुभ माना जाता है। इसके बाद माँ को भोग अर्पित करें, जिसमें सफेद मिठाई या हलवा शामिल हो सकता है।

कौन-सी आरती करें:

माँ शैलपुत्री

माँ शैलपुत्री की पूजा के दौरान उनकी आरती करना अत्यंत शुभ होता है। आप नीचे दी गई आरती को गाकर माँ का ध्यान कर सकते हैं:

                                             “जय शैलपुत्री माता, जय शैलपुत्री माता,
                                              तुमको निसदिन ध्यावत, हर विष्णु विधाता।”

आरती के बाद घंटी बजाते हुए माँ के सामने अपनी श्रद्धा प्रकट करें और उनसे अपने परिवार की सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें। आरती के बाद सभी को प्रसाद वितरित करें और स्वयं भी ग्रहण करें।

पूजा की सामग्री-

नवरात्रि के पहले दिन पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

कैसे करें कलश स्थापना-

माँ शैलपुत्री

नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना का भी विशेष महत्व होता है। कलश को स्वच्छ जल से भरकर उसमें कुछ पत्ते डालें और उसके ऊपर नारियल रखें। इस कलश को माँ दुर्गा के प्रतीक के रूप में पूजा स्थान पर रखें। कलश को स्थापित करने के बाद उसमें गंगाजल छिड़कें और इसके पास दीपक जलाएं।

माँ शैलपुत्री की महिमा-

माँ शैलपुत्री की महिमा अनंत है। उनका ध्यान करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। वे पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और उनके नाम का अर्थ है “पहाड़ की पुत्री”। नवरात्रि के पहले दिन उनकी पूजा से हमें स्थिरता, मानसिक शांति और शारीरिक बल की प्राप्ति होती है। माँ शैलपुत्री की कृपा से जीवन की सभी कठिनाइयों का सामना करने का साहस मिलता है।

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माँ शैलपुत्री

नवरात्रि के पहले दिन का महत्व-

पहले दिन का विशेष महत्व इसलिए है क्योंकि यह माँ दुर्गा के स्वागत का दिन होता है। इस दिन की पूजा से घर में सकारात्मकता का आगमन होता है और हर सदस्य को माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। माँ शैलपुत्री की पूजा से जीवन में नई ऊर्जा और उमंग का संचार होता है, और हर व्यक्ति को कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति मिलती है।

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समापन-

नवरात्रि का पहला दिन माँ शैलपुत्री की पूजा और साधना का आशीर्वाद प्राप्त करें, और जीवन में सकारात्मकता और सुख-शांति का अनुभव करें।

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